Tumse Milne Par | Sunil Gangopadhyay
07 September 2025

Tumse Milne Par | Sunil Gangopadhyay

Pratidin Ek Kavita

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तुमसे मिलने पर | सुनील गंगोपाध्याय

अनुवाद : रोहित प्रसाद पथिक

तुमसे मिलने पर


मैं पूछता हूँ :

तुम मनुष्य से प्रेम नहीं करते हो,


पर देश से क्यों प्रेम करते हो?

देश तुम्हें क्या देगा?


देश क्या ईश्वर के जैसा है कुछ?

तुमसे मिलने पर


मैं पूछता हूँ :

बंदूक़ की गोली ख़रीदने के बाद


प्राण देने पर देश कहाँ पर होगा?

देश क्या जन्म-स्थान की मिट्टी है


या कि काँटेदार तार की सीमा?

बस से उतरकर


जिसकी तुमने हत्या की

क्या उसका देश नहीं?


तुमसे मिलने पर

मैं पूछता हूँ :


तुम किस तरह समझे कि मैं तुम्हारा शत्रु हूँ?

किसी प्रश्न का उत्तर न देने पर


क्या तुम मेरी तरफ़ रायफ़ल घुमाओगे?

इस तरह के भी


प्रेमहीन देशप्रेमी होते हैं!