Stree Ka Chehra | Anita Verma
19 October 2025

Stree Ka Chehra | Anita Verma

Pratidin Ek Kavita

About

स्त्री का चेहरा। अनीता वर्मा


इस चेहरे पर जीवन भर की कमाई दिखती है

पहले दुख की एक परत


फिर एक परत प्रसन्नता की

सहनशीलता की एक और परत


एक परत सुंदरता

कितनी किताबें यहाँ इकट्ठा हैं


दुनिया को बेहतर बनाने का इरादा

और ख़ुशी को बचा लेने की ज़िद


एक हँसी है जो पछतावे जैसी है

और मायूसी उम्मीद की तरह


एक सरलता है जो सिर्फ़ झुकना जानती है

एक घृणा जो कभी प्रेम का विरोध नहीं करती


आईने की तरह है स्त्री का चेहरा

जिसमें पुरुष अपना चेहरा देखता है


बाल सँवारता है मुँह बिचकाता है

अपने ताक़तवर होने की शर्म छिपाता है


इस चेहरे पर जड़ें उगी हुई हैं

पत्तियाँ और लतरें फैली हुई हैं


दो-चार फूल हैं अचानक आई हुई ख़ुशी के

यहाँ कभी-कभी सूरज जैसी एक लपट दिखती है


और फिर एक बड़ी-सी ख़ाली जगह