Preeti-Bhaint | Shrikant Verma
09 September 2025

Preeti-Bhaint | Shrikant Verma

Pratidin Ek Kavita

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प्रीति-भेंट | श्रीकांत वर्मा


इतने दिनों के बाद अकस्मात मिले तो आँसुओं ने उसके उसे, मेरे मुझे

भरमा दिया,

आँसू जब थमे तो मैं कुछ और था, वह कुछ और-

वह मेरी आँखों में, मैं उसकी आँखों में

ढूँढ़ रहा था शंका, अविश्वास और याचना से

ठौर!