Nanhi Pujaran | Asrar-Ul-Haq-Majaz
16 October 2025

Nanhi Pujaran | Asrar-Ul-Haq-Majaz

Pratidin Ek Kavita

About

नन्ही पुजारन।असरार-उल-हक़ मजाज़


इक नन्ही मुन्नी सी पुजारन

पतली बाँहें पतली गर्दन


भोर भए मंदिर आई है

आई नहीं है माँ लाई है


वक़्त से पहले जाग उठी है

नींद अभी आँखों में भरी है


ठोड़ी तक लट आई हुई है

यूँही सी लहराई हुई है


आँखों में तारों की चमक है

मुखड़े पे चाँदी की झलक है


कैसी सुंदर है क्या कहिए

नन्ही सी इक सीता कहिए


धूप चढ़े तारा चमका है

पत्थर पर इक फूल खिला है


चाँद का टुकड़ा फूल की डाली

कम-सिन सीधी भोली भाली


हाथ में पीतल की थाली है

कान में चाँदी की बाली है


दिल में लेकिन ध्यान नहीं है

पूजा का कुछ ज्ञान नहीं है


कैसी भोली छत देख रही है

माँ बढ़ कर चुटकी लेती है


चुपके चुपके हँस देती है

हँसना रोना उस का मज़हब


उस को पूजा से क्या मतलब

ख़ुद तो आई है मंदिर में


मन उस का है गुड़िया-घर में