Mujhe Sneh Kya Mil Na Sakega? | Suryakant Tripathi Nirala
15 October 2025

Mujhe Sneh Kya Mil Na Sakega? | Suryakant Tripathi Nirala

Pratidin Ek Kavita

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मुझे स्नेह क्या मिल न सकेगा?। सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'


मुझे स्नेह क्या मिल न सकेगा?


स्तब्ध, दग्ध मेरे मरु का तरु

क्या करुणाकर खिल न सकेगा?


जग के दूषित बीज नष्ट कर,

पुलक-स्पंद भर, खिला स्पष्टतर,


कृपा-समीरण बहने पर, क्या

कठिन हृदय यह हिल न सकेगा?


मेरे दु:ख का भार, झुक रहा,

इसीलिए प्रति चरण रुक रहा,


स्पर्श तुम्हारा मिलने पर, क्या

महाभार यह झिल न सकेगा?