Isiliye | Gagan Gill
04 October 2025

Isiliye | Gagan Gill

Pratidin Ek Kavita

About

इसीलिए | गगन गिल


वह नहीं होगा कभी भी 

फाँसी पर झूलता हुआ आदमी

वारदात की ख़बरें पढ़ते हुए 

सोचता था वह 


गर्दन के पीछे हो रही सुरसुरी को वह 

मुल्तवी करता रहता था 

तमाम ख़बरों के बावजूद 

सोचता था 

अपने लिए एक बिलकुल अलग अंत


इसीलिए जब अंत आया 

तो अलग तरह से नहीं आया