Gaza Mein Ramzaan | Shahanshah Alam
12 September 2025

Gaza Mein Ramzaan | Shahanshah Alam

Pratidin Ek Kavita

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ग़ज़ा में रमज़ान | शहंशाह आलम


ग़ज़ा में रमज़ान का चाँद निकला है

यह चाँद कितने चक्कर के बाद

बला का ख़ूबसूरत दिखाई देता है

किसी खगोल विज्ञानी को मालूम होगा

उस लड़की को भी मालूम होगा

जिसके जूड़े में पिछली ईद वाली रात

टांक दिया था मैंने यही चाँद

लेकिन ग़ज़ा में निकला यह चाँद

ग़ज़ा की प्रेम करने वाली लड़कियों को

उतना ही ख़ूबसूरत दिखाई देता होगा

जितना मुझसे प्रेम करने वाली लड़की को

या उन्हें चाँद की जगह बम दिखाई देता होगा

जिन बमों ने उनके ख़्वाब वाले लड़कों को मार डाला

या यह चाँद उनमें उकताहट पैदा कर रहा होगा

कि इस चाँद को इफ्तार में खाया नहीं जा सकता

ग़ज़ा में रमज़ान ऐसा ही तो गुज़रने वाला है

चाँद ख़ूबसूरत दिखता है तो दिखा करे