Bechain Cheel | Muktibodh
13 November 2025

Bechain Cheel | Muktibodh

Pratidin Ek Kavita

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बेचैन चील।  गजानन माधव मुक्तिबोध


बेचैन चील!!

उस-जैसा मैं पर्यटनशील


प्यासा-प्यासा,

देखता रहूँगा एक दमकती हुई झील


या पानी का कोरा झाँसा

जिसकी सफ़ेद चिलचिलाहटों में है अजीब


इनकार एक सूना!!