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आस्था | प्रियाँक्षी मोहन
इस दुनिया को युद्धों ने उतना
तबाह नहीं किया
जितना तबाह कर दिया
प्यार करने की झूठी तमीज़ ने
प्यार जो पूरी दुनिया में
वैसे तो एक सा ही था
पर उसे करने की सभी ने
अपनी अपनी शर्त रखी
और प्यार को कई नाम,
कविताओं, कहानियों,
फूलों, चांद तारों और
जाने किन किन
उपमाओं में बांट दिया
जबकि प्यार को उतना ही नग्न
और निहत्था होना था
जितना किसी पर अटूट
आस्था रखना होता है
वह सच्ची आस्था
जिसको आज तक कोई
तमीज़,तावीज़ या तागा
नहीं तोड़ सके।