18 Number Bench Par | Doodhnath Singh
17 October 2025

18 Number Bench Par | Doodhnath Singh

Pratidin Ek Kavita

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18 नम्बर बेंच पर।  दूधनाथ सिंह


18 नम्बर बेंच पर कोई निशान नहीं

चारों ओर घासफूस –- जंगली हरियाली

कीड़े-मकोड़े मच्छर अँधेरा 

 वर्षा से धुली हरी-चिकनी काई की लसलस

चींटियों के भुरेभुरे बिल –- सन्नाटा

बैठा सन्नाटा । क्षण वह धुल-पुँछ बराबर

कौन यहाँ आया बदलती प्रकृति के अलावा

प्रशासनिक भवन से दूर कुलसचिव के सुरक्षा-गॉर्ड

की नज़रों से बाहर ऋत्विक घटक की डोलती

दुबली छाया से उतर कौन यहाँ आया

एकान्त की मृत्यु बस रोज़ रात -– व्यर्थ

वृक्षों की छिदरी छाँह, झूमती हवा की चीत्कार संग

मैं फिरता वहाँ

सब कुछ गुज़रता है चुपचाप

आज रात नहीं कोई वहाँ

बात नहीं कोई

झँपती आँख नहीं कोई ।